Friday, November 20, 2009


Satydev Singh Negi

Satydev Singh Negi

Thursday, November 12, 2009


Satydev Singh Negi

सत्ता की बिसात पर बिछते राजनेताओं के पासे

नई दिल्ली [शेष नारायण सिंह]। हाल ही में हमने कर्नाटक में सत्ता का संघर्ष देखा। वह हल हुआ ही था कि महाराष्ट्र में एक नया तमाशा शुरू हो गया। भले ही वहां पर जो कुछ हुआ उसमें भाषायी राजनीति का सहारा लिया जा रहा है, लेकिन परदे के पीछे का खेल वास्तव में सत्ता संघर्ष का ही है।
हरियाणा में चुनाव के बाद जब सत्ताधारी पार्टी के खाते में बहुमत से कुछ कम सीटें आई तो खलबली मची, लेकिन सभी निर्दलियों को मंत्री बनाकर सत्ता का खेल खेला गया। उत्तर प्रदेश में भले ही हाथी अपनी मदमस्त चाल से चला जा रहा है, लेकिन मायावती के दुश्मन भी चुप नहीं बैठे हैं। घोषित आमदनी के साधनों से ज्यादा संपत्ति और उनके मूर्ति प्रेम माया माननीय हाईकोर्ट की टेड़ी नजर उन्हें बेचैन किए हुए है।
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा का सारा बहीखाता प्रवर्तन निदेशालय ने खोल दिया है। सत्ता में बिताए गए करीब दो वर्षो में ही उन्होंने इतनी दौलत इकट्ठा कर ली और कि देश में रखने की जगह तक नहीं बची और विदेशों में निवेश करना पड़ा।
अबू धाबी के एम के माल से लेकर लाइबेरिया और थाइलैंड तक उनके रुपयों की खनक महसूस की जा रही है। पश्चिम बंगाल में भी सत्ता का एक खतरनाक खेल खेला जा रहा है वहा तो पिछले 33 साल से गद्दी पर विराजमान वामपंथियों को खदेड़ने के लिए आतंकियों तक की मदद ली जा रही है।
मुराद यह है कि सत्ता के खेल में हर जगह उठा-पटक मची हुई है। यहां गौर करने की बात यह है कि इस खेल में हर पार्टी के लोग शामिल हैं और सत्ता हासिल करने के लिए कुछ भी करने पर आमादा हैं। सत्ता के प्रति इस दीवानगी की उम्मीद शायद ही संविधान निर्माताओं को रही होगी, वरना शायद इसका भी कुछ इंतजाम उन्होंने कर दिया होता।
आजादी के बाद जब सरदार पटेल अपने गांव गए, तो कुछ महीनों तक वहीं रहकर आराम करने की इच्छा जताई, लेकिन यह संभव नहीं हो सका क्योंकि जवाहरलाल नेहरू को मालूम था कि देश की एकता का काम पटेल जी के बिना पूरा नहीं हो सकता। इस तरह के बहुत सारे नेता थे जो सत्ता के निकट भी नहीं जाना चाहते थे।
1952 के चुनाव में ऐसे बहुत सारे मामले हैं जहा काग्रेस ने लोगों को टिकट दे दिया और वे लोग भाग खड़े हुए, कहीं रिश्तेदारी में जाकर छिप गए और टिकट किसी और को देना पड़ा, लेकिन वह सब अब सपना है। 60 के दशक तक चुनाव लड़ने के लिए टिकट मागना अपमान समझा जाता था। पार्टी जिसको ठीक समझती थी, टिकट देती थी।
70 के दशक में उस समय की प्रतिष्ठित पत्रिका 'दिनमान' में जब टिकट याचकों को टिकटार्थी नाम दिया तो बहुत सारे लोग इस संबोधन से खुद को अपमानित महसूस करते थे। लेकिन 80 के दशक तक तो टिकटार्थी सर्व स्वीकार्य विशेषण हो गया। लोग खुले आम टिकट मांगने लगे, जुगाड़बाजी का तंत्र शुरू हो गया।
इन हालात को जनतंत्र के लिए बहुत ही खराब माना जाता था लेकिन अब हालात बहुत बिगड़ गए हैं। जुगाड़ करके टिकट मांगने वालों की तुलना आज के टिकट याचकों से की जाए तो लगेगा कि वे लोग तो महात्मा थे, क्योंकि आजकल टिकट की कीमत लाखों रुपये होती है।
दिल्ली के कई पड़ोसी राज्यों में तो एक पार्टी ने नियम ही बना रखा है कि करीब 10 लाख जमा करने के बाद कोई भी व्यक्ति टिकट के लिए पार्टी के नेताओं के पास हाजिर हो सकता है। उसके बाद इंटरव्यू होता है जिसमें सफल लोगों को बाद टिकट दिया जाता है यानी टिकट की नीलामी होती है।
जाहिर है इन तरीकों से टिकट ले कर विधायक बने लोग लूट-पाट करते हैं और अपना खर्च निकालते हैं। इसी खर्च निकालने के लिए सत्ता के इस संघर्ष में सभी पार्टियों के नेता तरह तरह के रूप में शामिल होते हैं। सरकारी पैसे को लूटकर अपनी तिजोरिया भरते हैं और जनता मुंह ताकती रहती है। अजीब बात यह है कि दिल्ली में बैठे बड़े नेताओं को इन लोगों की बेइमानी का पता नहीं लगता जबकि सारी दुनिया को पता रहता है।
इसी लूट की वजह से सत्ता का संघर्ष चलता रहता है। सत्ता के केंद्र में बैठा व्यक्ति हजारों करोड़ रुपये सरकारी खजाने से निकाल कर अपने कब्जे में करता रहता है। और जब बाकी मंत्रियों को वह ईमानदारी का पाठ पढ़ाने लगता है तो लोग नाराज हो जाते हैं और मुख्यमंत्री को हटाने की बात करने लगते हैं।
कर्नाटक की लड़ाई भी इसी तर्ज पर है। झारखंड की कहानी में एक अनुभवहीन नेता का चरित्र उभर कर सामने आता है जिसने चोरी की कला में महारत नहीं हासिल की थी, जबकि महाराष्ट्र और हरियाणा में सत्ता के संघर्ष में सरकारी पैसा झटकने के गुणी लोगों की बारीक चालों का जो बाकपन देखने को मिला वह झारखंड जैसे राज्यों में बाद देखने में आएगा।
सवाल पैदा होता है कि यह नेता लोग जनता के पैसों को जब इतने खुले आम लूट रहे होते हैं, तब क्या सोनिया गांधी, लाल कृष्ण आडवाणी, प्रकाश करात, लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव, मायावती, करुणानिधि, चंद्रबाबू नायडू, फारुक अब्दुल्ला जैसे नेताओं को पता नहीं लगता कि वे अपनी अपनी पार्टी के चोरों को समझा दें कि जनता का पैसा लूटने वालों को पार्टी से निकाल दिया जाएगा। लेकिन यह इस देश का दुर्भाग्य है कि इन सारे नेताओं को सब कुछ पता रहता है और यह लोग भ्रष्ट लोगों को सजा देने की बात तो खैर सोचते ही नहीं, उनको बचाने की पूरी कोशिश करते हैं।
हां अगर बात खुल गयी और पब्लिक ओपिनियन के खराब होने का डर लगा तो उसे पद से हटा देते हैं। सजा देने की तो यह लोग सोचते ही नहीं और अपने लोगों को बचाने की ही कोशिश में जुट जाते हैं। यह देश की राजनीति के लिए अशुभ संकेत हैं।
जब राजनीतिक सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोग भ्रष्टाचार को उत्साहित करने लगेंतो देश के लिए बहुत ही बुरी बात है। लेकिन अगर भारत को एक रहना है तो इस प्रथा को खत्म करना होगा। हम जानते हैं कि यह बड़े नेता अपने लोगों को तभी हटाते हैं, जबकि पब्लिक ओपीनियन इनके खिलाफ हो जाए. यानी अभी आशा की एक किरण बची हुई है और वह है बड़े नेताओं के बीच पब्लिक ओपीनियन का डर। इसलिए सभ्य समाज और देशप्रेमी लोगों की जमात का फर्जहै कि वह पब्लिक ओपीनियन को सच्चाई के साथ खड़े होने की तमीज सिखाएं और उसकी प्रेरणा दें। लेकिन पब्लिक ओपीनियन तो तब बनेंगे जब राजनीति और राजनेताओं के आचरण के बारे में देश की जनता को जानकारी मिले।
जानकारी के चलते ही 1920 के बाद महात्मा गांधी ने ताकतवर ब्रितानी साम्राज्यवाद को चुनौती दी और अंग्रेजों का बोरिया-बिस्तर बंध गया। एक कम्युनिकेटर केरूप में महात्मा गांधी की यह बहुत बड़ी सफलता थी। आज कोई गांधी नहीं है, लेकिन देश के गली कूचों तक इन सत्ताधारी बेइमानों के कारनामों को पहुचाना जरूरी है। इस माहौल में यह बहुत जरूरी है कि जनता तक इस सबकी खबर पहुंचे। अब कोई महात्मा गांधी तो पैदा होंगें नहीं, उनका जो सबसे बड़ा हथियार कम्युनिकेशन का था, उसी को इस्तेमाल करके देश में जवाबदेह लोकशाही की स्थापना की जा सकती है।
गांधी युग में भी कहा गया था कि जब 'तोप हो मुकाबिल तो अखबार निकालो'। इसलिए मीडिया की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि वह जनजागरण का काम पूरी शिद्दत से शुरू करे और जनता भी भागीदारी निभाए।
[लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं]
आम आदमी तो बस नारा होकर रह गया है
[सी के जैन, पूर्व लोकसभा महासचिव]। हमारा सामाज इस कदर भ्रष्टाचार में घिर गया है कि यह तय कर पाना ही मुश्किल हो रहा है कि भ्रष्टाचार माना किसे जाए। धनलोलुपता, सत्ता लोलुपता, भाई-भतीजावाद, संगी-साथियों के दोषों को संरक्षण देना, धर्म-जाति, लिंग, भाषा के नाम पर अशांति व अराजकता पैदा करना और देश को बांटना और भी बहुत कुछ।
अगर इन सभी लक्षणों को भ्रष्टाचार कह दिया जाएगा तो हमारे आचरण में बचा क्या? वास्तव में यह सभी तो लक्षण है। रोग है सत्ता और पैसा। इसी को पाने के लिए सब एक थैली के चट्टे-बट्टे हो गए हैं। तू कहे न तेरी, मैं कहूं न मेरी। सत्ता पक्ष सबको लूट रहा है, विपक्ष टूट रहा है। अब तो आम आदमी और आम जनता तो नारा हो गया हैं। ब्रांड बन गए हैं। यह हद कहां तक जाएगी पता नहीं।
जेपी, लोहिया और गांधी अब दुबारा नहीं पैदा होंगे और आम आदमी अब बस बेचारा रह गया है। जो उम्मीद है वह समाज के प्रगतिशील युवाओं से है। आने वाले समय से समाज किस दिशा में जाएगा यह काफी कुछ उन पर ही निर्भर करेगा। अभी इसी कौम से उम्मीद है।
जवाबदेही की जरूरत है
[डा एस के अग्रवाल, वाइस चेयरमैन, ट्रांसपिरेंसी इंटरनेशनल इंडिया]। राजनीतिक भ्रष्टाचार की सबसे बड़ी वजह है जवाबदेही और उत्तरदायित्व का न होना है। मनु शर्मा पैरोल पर खुले आम घूम रहे हैं क्योंकि वे मंत्री के बेटे हैं, उनकी कोई जवाबदेही नही है। पिछले चालीस साल से इस बात का लोकपाल लटका हुआ है कि प्रधानमंत्री से लेकर मंत्री तक सबकी जावबदेही हो।
इंदिरा जी के समय में लोकसभा में इस संदर्भ में विधेयक लाया गया और लोकसभा के विघटन के कारण पास न हो सका। और यह तब से लटका पड़ा है। आम जनता और उसके प्रतिनिधि के बीच की खाई को कम करना बहुत जरूरी है। जनता देखती है कि कल तक सामान्य-सा जीवन जीवन जीने वाला आदमी नेता बनने के बाद विदेशों में अपना पैसा निवेश कर रहा है और जनता कि भलाई के लिए उसे जो पैसा निधि के रूप में मिल रहा है वह पूरा खर्च ही नहींहो पा रहा है। जो खर्च हो रहा है उसे विचौलिये डकार जा रहे हैं।
नरसिंह राव सरकार ने सांसद निधि बढ़ाकर दो करोड़ रुपये कर दी थी और अटल जी ने खत्म करने की बात की तो अब उसे बढ़ाकर 10 करोड़ करने की बात की जा रही है। रक्षा बजट बढ़ता जा रहा और हम खुद और भी असुरक्षित महसूस करते जा रहे हैं। जब तक इस बात की जवाबदेही नहीं बनती कि आप क्या कर रहे हैं किसके लिए कर रहे हैं, तब तक कोई सुधार की उम्मीद करना बेमानी है।
सौजन्य दैनिक जागरण
http://in.jagran.yahoo.com/news/national/politics/5_2_5935128/

Adding Variable

setq : setq uses for making own commands (variables)
(setq x1 2.0)
2.0
(setq x2 5.0)
5.0
(setq x3 (+ x1 x2))
7.0
(setq x4 (* x1 x2))
10.0
(setq x5 (/ x2 x1))
2.5

Tuesday, November 10, 2009

Start Writting Programme in LISP

Autolisp always starts with "(" and ends with ")"
it means if you enter "(" in your command The programming strarts automatically
+ (add)
(+ 2 3) returns 5
(+ 1 2 3 6.5) returns 12.5
(+ 1 2 3 8.0) returns 14.0

- (subtract)
(- 50 30) returns 20
(- 60 40.0) returns 20.0
(- 70 40.0 2.5) returns 27.5
(- 6) returns -6

Wednesday, November 4, 2009

Sample Structural Steel Shop Drawing



Satydev Singh Negi

Auto LISP file to make Cross Bracings

(defun c:jns75()
(setq pnt1(getpoint "\n:Pick point Lower Inclined")
pnt2(getpoint "\n:Pick point Upper Inclined")
ang1(angle pnt1 pnt2)
ang2(+ ang1 (/ pi 2))
len1(/ (+ 13.45 (* 21 (sin ang1))) (cos ang1))
pnt3(polar pnt1 ang1 len1)
pnt4(polar pnt3 ang2 21)
len2(/ (+ 13.45 (* 54 (sin ang1))) (cos ang1))
pnt5(polar pnt2 (angle pnt2 pnt1) len2)
pnt6(polar pnt5 ang2 21)
pnt7(polar pnt4 (angle pnt4 pnt3) 75)
pnt8(polar pnt6 (angle pnt4 pnt3) 75)
pnt9(polar pnt4 (angle pnt4 pnt3) 6)
pnt10(polar pnt6 (angle pnt4 pnt3) 6)
pnt11(polar pnt4 (angle pnt4 pnt3) 40)
pnt12(polar pnt11 ang1 40)
pnt13(polar pnt12 ang1 80)
pnt14(polar pnt6 (angle pnt4 pnt3) 40)
pnt15(polar pnt14 (angle pnt2 pnt1) 40)
pnt16(polar pnt15 (angle pnt2 pnt1) 80)
pnt17(polar pnt13 ang1 40)
pnt18(polar pnt17 ang2 50)
pnt19(polar pnt18 (angle pnt4 pnt3) 95)
pnt20(polar pnt16 (angle pnt2 pnt1) 40)
pnt21(polar pnt20 ang2 50)
pnt22(polar pnt21 (angle pnt4 pnt3) 95)
scl (getvar "dimscale")
pnt23(polar pnt4 ang2 (* scl 15))
pnt24(polar pnt6 ang2 (* scl 15))
pnt25(polar pnt4 ang2 (* scl 23))
;lenmem (length pnt3 pnt5)
;txtang (/ (* ang1 180) pi)
;pnt26(polar pnt17 ang1 (* scl 5))
;pnt27(polar pnt26 ang2 (* scl 8))
)
(command "pline" pnt4 pnt6 pnt8 pnt7 "c"
"line" pnt9 pnt10 ""
"-insert" "erec" pnt12 "" "" (/ (* ang1 180) pi)
"-insert" "erec" pnt13 "" "" (/ (* ang1 180) pi)
"-insert" "erec" pnt15 "" "" (/ (* ang1 180) pi)
"-insert" "erec" pnt16 "" "" (/ (* ang1 180) pi)
"line" pnt18 pnt19 ""
"line" pnt21 pnt22 ""
"dimaligned" pnt3 pnt5 pnt25
"dimaligned" pnt1 pnt3 pnt23
"dimcontinue" pnt12 pnt13 pnt17 "" ""
"dimaligned" pnt2 pnt5 pnt24
"dimcontinue" pnt15 pnt16 pnt21 pnt17 "" ""
;"text" pnt27 (* 2.5 scl) txtang (strcat "L65X65X6" (rtos lenmem 2 0) "LG" "" ""
)
)(defun c:jns65()
(setq pnt1(getpoint "\n:Pick point Lower Inclined")
pnt2(getpoint "\n:Pick point Upper Inclined")
ang1(angle pnt1 pnt2)
ang2(+ ang1 (/ pi 2))
len1(/ (+ 85 (* 18 (sin ang1))) (cos ang1))
pnt3(polar pnt1 ang1 len1)
pnt4(polar pnt3 ang2 18)
len2(/ (+ 85 (* 47 (sin ang1))) (cos ang1))
pnt5(polar pnt2 (angle pnt2 pnt1) len2)
pnt6(polar pnt5 ang2 18)
pnt7(polar pnt4 (angle pnt4 pnt3) 65)
pnt8(polar pnt6 (angle pnt4 pnt3) 65)
pnt9(polar pnt4 (angle pnt4 pnt3) 6)
pnt10(polar pnt6 (angle pnt4 pnt3) 6)
pnt11(polar pnt4 (angle pnt4 pnt3) 35)
pnt12(polar pnt11 ang1 40)
pnt13(polar pnt12 ang1 80)
pnt14(polar pnt6 (angle pnt4 pnt3) 35)
pnt15(polar pnt14 (angle pnt2 pnt1) 40)
pnt16(polar pnt15 (angle pnt2 pnt1) 80)
pnt17(polar pnt13 ang1 40)
pnt18(polar pnt17 ang2 45)
pnt19(polar pnt18 (angle pnt4 pnt3) 85)
pnt20(polar pnt16 (angle pnt2 pnt1) 40)
pnt21(polar pnt20 ang2 45)
pnt22(polar pnt21 (angle pnt4 pnt3) 85)
scl (getvar "dimscale")
pnt23(polar pnt4 ang2 (* scl 15))
pnt24(polar pnt6 ang2 (* scl 15))
pnt25(polar pnt4 ang2 (* scl 23))
;lenmem (length pnt3 pnt5)
;txtang (/ (* ang1 180) pi)
;pnt26(polar pnt17 ang1 (* scl 5))
;pnt27(polar pnt26 ang2 (* scl 8))
)
(command "pline" pnt4 pnt6 pnt8 pnt7 "c"
"line" pnt9 pnt10 ""
"-insert" "erec" pnt12 "" "" (/ (* ang1 180) pi)
"-insert" "erec" pnt13 "" "" (/ (* ang1 180) pi)
"-insert" "erec" pnt15 "" "" (/ (* ang1 180) pi)
"-insert" "erec" pnt16 "" "" (/ (* ang1 180) pi)
"line" pnt18 pnt19 ""
"line" pnt21 pnt22 ""
"dimaligned" pnt3 pnt5 pnt25
"dimaligned" pnt1 pnt3 pnt23
"dimcontinue" pnt12 pnt13 pnt17 "" ""
"dimaligned" pnt2 pnt5 pnt24
"dimcontinue" pnt15 pnt16 pnt21 pnt17 "" ""
;"text" pnt27 (* 2.5 scl) txtang (strcat "L65X65X6" (rtos lenmem 2 0) "LG" "" ""
)
)
(defun c:jns50()
(setq pnt1(getpoint "\n:Pick point Lower Inclined")
pnt2(getpoint "\n:Pick point Upper Inclined")
ang1(angle pnt1 pnt2)
ang2(+ ang1 (/ pi 2))
len1(/ (+ (* 15 (sin ang1)) 25) (cos ang1))
pnt3(polar pnt1 ang1 len1)
pnt4(polar pnt3 ang2 15)
len2(/ (+ (* 35 (sin ang1)) 25) (cos ang1))
pnt5(polar pnt2 (angle pnt2 pnt1) len2)
pnt6(polar pnt5 ang2 15)
pnt7(polar pnt4 (angle pnt4 pnt3) 50)
pnt8(polar pnt6 (angle pnt4 pnt3) 50)
pnt9(polar pnt4 (angle pnt4 pnt3) 6)
pnt10(polar pnt6 (angle pnt4 pnt3) 6)
pnt11(polar pnt4 (angle pnt4 pnt3) 28)
pnt12(polar pnt11 ang1 40)
pnt13(polar pnt12 ang1 80)
pnt14(polar pnt6 (angle pnt4 pnt3) 28)
pnt15(polar pnt14 (angle pnt2 pnt1) 40)
pnt16(polar pnt15 (angle pnt2 pnt1) 80)
pnt17(polar pnt13 ang1 40)
pnt18(polar pnt17 ang2 38)
pnt19(polar pnt18 (angle pnt4 pnt3) 70)
pnt20(polar pnt16 (angle pnt2 pnt1) 40)
pnt21(polar pnt20 ang2 38)
pnt22(polar pnt21 (angle pnt4 pnt3) 70)
scl (getvar "dimscale")
pnt23(polar pnt4 ang2 (* scl 15))
pnt24(polar pnt6 ang2 (* scl 15))
pnt25(polar pnt4 ang2 (* scl 23))
;lenmem (length pnt3 pnt5)
;txtang (/ (* ang1 180) pi)
;pnt26(polar pnt17 ang1 (* scl 5))
;pnt27(polar pnt26 ang2 (* scl 8))
)
(command "pline" pnt4 pnt6 pnt8 pnt7 "c"
"line" pnt9 pnt10 ""
"-insert" "erec" pnt12 "" "" (/ (* ang1 180) pi)
"-insert" "erec" pnt13 "" "" (/ (* ang1 180) pi)
"-insert" "erec" pnt15 "" "" (/ (* ang1 180) pi)
"-insert" "erec" pnt16 "" "" (/ (* ang1 180) pi)
"line" pnt18 pnt19 ""
"line" pnt21 pnt22 ""
"dimaligned" pnt3 pnt5 pnt25
"dimaligned" pnt1 pnt3 pnt23
"dimcontinue" pnt12 pnt13 pnt17 "" ""
"dimaligned" pnt2 pnt5 pnt24
"dimcontinue" pnt15 pnt16 pnt21 pnt17 "" ""
;"text" pnt27 (* 2.5 scl) txtang (strcat "L65X65X6" (rtos lenmem 2 0) "LG" "" ""
)
)
(defun c:jns50r()
(setq pnt1(getpoint "\n:Pick point Upper Inclined")
pnt2(getpoint "\n:Pick point Lower Inclined")
ang1(angle pnt1 pnt2)
ang2(- (* pi 2) ang1)
ang3(- (* (/ pi 2) 3) ang1)
len1(/ (+ (* 35 (sin ang2)) 25) (cos ang2))
pnt3(polar pnt1 ang1 len1)
pnt4(polar pnt3 ang2 15)
len2(/ (+ (* 15 (sin ang2)) 25) (cos ang2))
pnt5(polar pnt2 (angle pnt2 pnt1) len2)
pnt6(polar pnt5 ang2 15)
pnt7(polar pnt4 (angle pnt4 pnt3) 50)
pnt8(polar pnt6 (angle pnt4 pnt3) 50)
pnt9(polar pnt4 (angle pnt4 pnt3) 6)
pnt10(polar pnt6 (angle pnt4 pnt3) 6)
pnt11(polar pnt4 (angle pnt4 pnt3) 28)
pnt12(polar pnt11 ang1 40)
pnt13(polar pnt12 ang1 80)
pnt14(polar pnt6 (angle pnt4 pnt3) 28)
pnt15(polar pnt14 (angle pnt2 pnt1) 40)
pnt16(polar pnt15 (angle pnt2 pnt1) 80)
pnt17(polar pnt13 ang1 40)
pnt18(polar pnt17 ang2 38)
pnt19(polar pnt18 (angle pnt4 pnt3) 70)
pnt20(polar pnt16 (angle pnt2 pnt1) 40)
pnt21(polar pnt20 ang2 38)
pnt22(polar pnt21 (angle pnt4 pnt3) 70)
scl (getvar "dimscale")
pnt23(polar pnt4 ang2 (* scl 15))
pnt24(polar pnt6 ang2 (* scl 15))
pnt25(polar pnt4 ang2 (* scl 23))
;lenmem (length pnt3 pnt5)
;txtang (/ (* ang1 180) pi)
;pnt26(polar pnt17 ang1 (* scl 5))
;pnt27(polar pnt26 ang2 (* scl 8))
)
(command "pline" pnt4 pnt6 pnt8 pnt7 "c"
"line" pnt9 pnt10 ""
"-insert" "erec" pnt12 "" "" (/ (* ang1 180) pi)
"-insert" "erec" pnt13 "" "" (/ (* ang1 180) pi)
"-insert" "erec" pnt15 "" "" (/ (* ang1 180) pi)
"-insert" "erec" pnt16 "" "" (/ (* ang1 180) pi)
"line" pnt18 pnt19 ""
"line" pnt21 pnt22 ""
"dimaligned" pnt3 pnt5 pnt25
"dimaligned" pnt1 pnt3 pnt23
"dimcontinue" pnt12 pnt13 pnt17 "" ""
"dimaligned" pnt2 pnt5 pnt24
"dimcontinue" pnt15 pnt16 pnt21 pnt17 "" ""
;"text" pnt27 (* 2.5 scl) txtang (strcat "L65X65X6" (rtos lenmem 2 0) "LG" "" ""
)
)
Satydev Singh Negi

Fabrication Drawing


Satydev Singh Negi

Structural Steel Shop Drawing


Satydev Singh Negi

Football Match


Satydev Singh Negi

Cricket Ground at hill station


Satydev Singh Negi

IGF Engineering Best Employee Award 2006



Satydev Singh Negi

तृतीय वर्षगांठ पर म्यर उत्तराखंड का आमंत्रण

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तृतीय वर्षगांठ पर म्यर उत्तराखंड का आमंत्रण..
सभी उत्तराखंड वासियों को म्यर उत्तराखंड संस्था की तरफ से आने वाले नए वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें..जैसा की आप सभी लोग जानते हैं, म्यर उत्तराखंड पहाड़ से जुड़े हुए युवाओं का एक संगठन है, जो समय समय पर उत्तराखंड के विकास के लिए तत्पर तैयार रहता है म्यर उत्तराखंड संस्था अपने चतुर्थ वर्ष में प्रवेश कर रही है इसलिए आप सभी को जानकार अत्यंत हर्ष होगा की म्यर उत्तराखंड अपनी तृतीय वर्षगाँठ के अवसर पर एक सांस्कृतिक संध्या का आयोजन करने जा रहा है कार्यक्रम के दौरान म्यार उत्तराखंड पहली बार एक वार्षिक पत्रिका का विमोचन भी करने जा रहा है जिसमे उत्तराखंड की संस्कृति को बेहद सजीले रूप से संजोया गया है इस संध्या का आयोजन दक्षिण दिल्ली के सिरीफोर्ट ऑडिटोरियम में किया जा रहा है म्यर उत्तराखंड आप सभी लोगो का इस कार्यक्रम के दौरान आमंत्रित करता है तथा कार्यक्रम को सफ़ल एवं साथी कलाकारों का उत्साह वर्धन करने के लिए सहयोग की अपेक्षा करता है

अतः अधिक से अधिक संख्या में पहुच कर उत्तराखंड की संस्कृति तथा संगीत से जुड़ने का प्रयास करें..धन्यवाद्॥

समारोह स्थल :-सिरीफोर्ट ऑडिटोरियम काम्प्लेक्स,अगस्त क्रांति मार्ग, नयी दिल्ली - 49ऑडिटोरियम न0- 3, प्रवेश द्वार न0 - 4,समय - सायं 4 बजे से ॥

नोट - सभी लोगो से सादर अनुरोध है की समय पर पहुच कर कार्यक्रम को सुचारू रूप से संचालित करने में हमारा सहयोग करें..
समारोह स्थल :-सिरीफोर्ट ऑडिटोरियम काम्प्लेक्स,अगस्त क्रांति मार्ग, नयी दिल्ली - 49ऑडिटोरियम न0- 3, प्रवेश द्वार संख्या - 4,समय - सायं 4 बजे से ॥

सम्पर्क :-मोहन बिष्ट : 9310999960दयाल पांडेय : 9212692291मनोज पांडेय : 9811514688आशीष नेगी : 9968774464मनोज चिलवाल : 9953498981दिनेश चन्द्र : 9810639219
जग्गा कांडपाल :- 9311493803

Structural steel Detailing

































Structural Layout of Trusses and Bottom Chord bracing






Structural Layout of Purlins and Top Chord bracing











श्री वक्रतुण्ड महाकाय

श्री वक्रतुण्ड महाकाय

सूर्य कोटी समप्रभा

निर्विघ्नं कुरु मे देव

सर्व-कार्येशु सर्वदा

Tuesday, November 3, 2009

sample foundation plan and details


Satydev Singh Negi

RCC Beam


Satydev Singh Negi

General Arrangement at first Floor


Satydev Singh Negi

RCC Stair


Satydev Singh Negi

Sample RCC Column Schedule


Satydev Singh Negi

Satydev Singh Negi

Wel Come


Good Evening to all

and welcome to Tech where you can discuss share and use your civil and structural engineering skills

Its New for me to to create a Blog

As i am here in industry for last 22 years its time for me to open me for all to give suggestions , services and utilities

Hope maximum of people will join me

Thank you a lot

Best Regards
Satydev Singh Negi