सत्यदेव के तुक्के
कवि सम्मेलन पर क्यों
जड़ा इतना बड़ा ताला
देदो है कोई खबर
या दो किसी का हवाला
समझिये आप युवा कवि के
भीतर की ज्वाला
उसकी मासूमियत है सच्ची
है दिल से भोलाभाला
कहा छिटके सभी युवा
क्यों सबने नाता तोड़ डाला
रोजमर्रा में हैं ब्यस्त
दिखा है या कहीं और उजाला
किसने लगाई सेंध यहाँ
किसका या ये गड़बड़झाला
गड़बड़ी नहीं है ये तुच्छ
लगता है ये बड़ा घोटाला
Wednesday, September 15, 2010
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