Wednesday, September 15, 2010

सत्यदेव के तुक्के
कवि सम्मेलन पर क्यों
जड़ा इतना बड़ा ताला
देदो है कोई खबर
या दो किसी का हवाला

समझिये आप युवा कवि के
भीतर की ज्वाला
उसकी मासूमियत है सच्ची
है दिल से भोलाभाला
कहा छिटके सभी युवा
क्यों सबने नाता तोड़ डाला
रोजमर्रा में हैं ब्यस्त
दिखा है या कहीं और उजाला
किसने लगाई सेंध यहाँ
किसका या ये गड़बड़झाला
गड़बड़ी नहीं है ये तुच्छ
लगता है ये बड़ा घोटाला

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