Wednesday, September 15, 2010

गढ़वाली गीत स्वरचित

म्यार गान्मा पूजै च रै
ऐ जय्याँ भोल सुबेर
टक लगैकी ऐजय्याँ
भेजण पुड्यां नि खुजेर

म्यार गान्मा पूजै च रै
ऐ जय्याँ भोल सुबेर

चंखी दादा तू भी ऐई
चम् ऐ जैई नि करि देर
फजिती काकी थै भी लेई
शर्म नि करि इत्गा नि डैर

म्यार गान्मा पूजै च रै
ऐ जय्याँ भोल सुबेर

ग्वाबिंदी काकि थै ले
चम् पाणि भ्वन हमर पंधेर
चौंफ्य फूफा कनै गाई
अज्काल बन्युं च जू ग्वेर

म्यार गान्मा पूजै च रै
ऐ जय्याँ भोल सुबेर

बोकटिया सिरयुंच हमरु
बांठी मिलाली एक एक सेर
चम् चम् ऐ जय्याँ
तब नि बुल्याँ क्या अंधेर

म्यार गान्मा पूजै च रै
ऐ जय्याँ भोल सुबेर

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