Wednesday, September 15, 2010

अभी मेरी करें छुट्टी स्वीकार
मेरा पहाड़ के इस मंच पर,
मिला मौका लिखने का,
निकालने दिल का गुबार।
मेहता जी कृपा आपकी,
आशीष पंकज दा का,
दीपक सुन्दर, राजे का आभार॥
जीवन है तो ऐसे भी जी लेंगे,
लड़ेंगे हर लड़ाई,
चाहे लगी रहे कष्टों की भरमार।
ऐ जिंदगी हों पड़ाव तेरे जितने भी,
तरेंगे हम,
मौत न कर सके तुझ पर प्रहार॥
उम्र है तो चलेगी बिपरीत काल के,
लड़ेंगे अश्त्र हमारे,
सेवा सत्य और सदाचार।
बचपन था बीता जैसे भी,
कैसे जियें करेंगे तय खुद,
अब आएगी जीवन में बहार॥
कमजोर यहाँ हर है कोई हम भी है,
अपनाएंगे कमजोरी को,
होगा उसमे भी सुधार।
ले चुके हैं कसम,
न होगा, हार शब्द शब्दकोष में,
करेगा समय हमारी जयजयकार ॥
चला हूँ नए सफ़र में मै,
हूँ अभी अकेला अभी तक,
मित्र और भी मिलेंगे नानाप्रकार।
होगा समयाभाव,
कम मिल पाऊँ शायद,
होंगे आप स्मृति में,
अभी मेरी करें छुट्टी स्वीकार॥

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