Friday, September 10, 2010

चला दगडियो अपरा घार बस्गाल लग्युं वख झमाझम
कनु व्हालू म्यारू घर गांवु बरखा टुटी नि हूणी कम
टुटी गिनी सब्या बाटा कनिके पौछला अपरा गाँव
कभी जौला गाड़ी म कभी पैदल कभी काटिकी बा
गाँव गल्या म व्हाला लोग लग्याँ व्हाला हमारा सार
बचि जाला गोर भैंसा द्वी चार पुंगडि कूडि तुमारा भ्वार
खुदेड हुन्द पराण आन्द मिथई जब बालपन अपुरु
कन भलु छाई भ्वारयुं गांवु खाली व्हे गयई पुरु
चला दगडियो अपरा घार बस्गाल लग्युं वख झमाझम
कनु व्हालू म्यारू घर गांवु बरखा टुटी नि हूणी कम

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