गढ़वाली गाना
कख छी ज्वान लौंडा
किले नि आन्दा इनै अजकाल
कख गैन नया कवि
पोड़ी गे नि यख बस्काल
अब नि ऐला ता कब ऐला
तब नि बुल्याँ यु कैरियाल
देखा देखा कनि च बरखा
कन हुयां नि यखा का हाल
पैसा जू भी दिया सरकार ला
देखा सबी नेताओं ला खयाल
कुडू टूट म्यारू क्या बुन
पैसा वूंल काका थै दियाल
मनखी छोड़ा देवता नि छुड़ना
पुजाई फर वूंल च स्टे दियाल
कनिकै कला पूजै अब
बुगाटिया वूंल हर्चायेयाल
Wednesday, September 15, 2010
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