दीपक जी इस कच्चे कवि को दिया आपने सुधार
फिर भी न कर पाया ये आपका सपना साकार
गलतियों पर गलती ऐसा भी भला होता है
अब कर दो कृपा ये नया कवि रोता है
देदो वो भस्म जो कर दे मेरी नय्या पार
ड़ोज थोडा कम देना ताकि न हो आज बुखार
कर दो इस कवि की लेखनी पर करिश्मा
नहीं तो बहुत रोयेंगे पाठक बना देंगे कीमा
Friday, August 13, 2010
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