आओ यारो कुछ धमाल करे कभी मिल बैठें बातें चार करें
न खींचे एक दूजे की हम चादर दें हर इंसान को आदर
पैदा हुए इंसान फिर जानवर को क्यों करें कॉपी
न तू खींच मेरा साफा न मै तेरी टोपी
अहम् ही हमारा है दुश्मन जान ले मेरे यार
चल निकलते हैं उसकी ओर तू भी होले तैयार
लगे तुझे कि ओ तेरे बिपरीत खड़ा है
मत सोच ऐसा क्योंकि ये मैदान बहुत बड़ा है
खाना ख़तम हो जायेगा ऐसा सोअच के मत बैठ
है पतीला बहुत बड़ा खुरचन से भी भर जायेगा तेरा पेट
Friday, August 13, 2010
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