Thursday, August 12, 2010

आपका अंदाजे बयां दिल में घर कर गया
छुट्टी तो मेरी हो चुकी पर मुझसे रहा न गया
दो आखर आपकी लेखिकी तो करूँ भेंट
पर डर है की बंद न हो जाये ऑफिस का गेट
शब्द आपकी उँगलियों पर निवास करते हैं
आपके मन की गति का अच्छा आभास करते हैं
यूँही लिखते रहें आप निरंतर इस मंच पर
हम भी लुफ्त उठायें जाने कविता आपके प्रपंच पर

3 comments:

  1. नेगी जी एक अछि प्रस्तुति है|

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  2. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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  3. इस नए सुंदर चिट्ठे के साथ आपका ब्‍लॉग जगत में स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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