Friday, August 13, 2010


आप हमें धन्यबाद कहे, निशब्द हुए हैं हम

धन्यबाद के थे पात्र आप, गटक गए हम

जी खूब कहा आपने की, कमी थी स्याही में हमारी

कमल जी अनुभव जी हेम जी हिमांशु जी से क्षमा मिले

पंकज दा दयाल गुरु से गुजारिश करते ढेर सारी

मै गली छाप कवि, स्टेडियम का नहीं आभास

छक्का मारने गया, लपक लिया प्रथम प्रयास

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